प्रेस विज्ञप्ति
24 वें परमाणु ऊर्जा विभाग बी.आर.एन.एस. राष्‍ट्रीय लेजर संगोष्‍ठी (2-5 दिसम्‍बर 2015)

आज दिनांक 2 दिसम्‍बर 2015 को लगभग 500 वैज्ञानिकों व वैज्ञानिक समुदाय के वरिष्‍ठ गणमान्‍य क्षेत्र के विद्यार्थियों, क्षेत्र के, औद्योगि‍क क्षेत्रों से जुडे विशेषज्ञों ने 24 वें परमाणु ऊर्जा विभाग बी.आर.एन.एस. राष्‍ट्रीय लेजर संगोष्‍ठी में एकत्र हुए। संगोष्‍ठी का उद्घाटन डॉ. के. कस्‍तूरीराजन, चांसलर जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय एवं सदस्‍य प.ऊ.आयोग ने किया।

यह संगोष्‍ठी हर वर्ष उन विशेषज्ञों को मंच उपलब्‍ध कराती है, जो लेजर भौतिकी प्रौद्योगिकी क्षेत्र के एवं उनके अनुप्रयोगों विभिन्‍न क्षेत्रों में विचार-विमर्श कर सकें

उपस्थित सभी गणमान्‍य का डॉ. पी.डी. गुप्‍ता, निदेशक आरआरकेट ने गर्मजोशी से हार्दिक स्‍वागत किया। उन्‍होंने बताया कि वर्ष 2015 अन्‍तरराष्‍ट्रीय प्रकाश एवं प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसलिए इस प्रमुख संस्‍थान आरआरकेट में जो कि दो महत्‍वपूर्ण प्रकाश स्‍त्रोत – लेजर एवं प्रकाश सिकोट्रोन प्रकाश स्‍त्रोत पर अनुसंधान हो रहा है इसलिए आयोजन किया जा रहा है।

अंतरिक्ष विभाग ने परमाणु ऊर्जा विभाग एवं उनकी इकाईयों जिसमें आरआरकेट प्रमुख है की मदद अपने नौ गरिमामय वर्षों तक आरआरकेट के सहयोग से अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफल बनाया। उन्‍होंने अभी हाल ही में लांच किए गए एस्‍ट्रोसेट - जो कि अंतरिक्ष में एक यूनिक वेद्यशाला है के बारे में बताया।

इस एस्‍ट्रोसेट वेद्यशाला का निर्माण अनेकों संस्‍थानों के सहयोग से किया गया है जो विश्‍व में अपनी तरह की पहली वेद्यशाला है, जिसमें मल्‍टी स्‍पेक्‍ट्रल प्‍लेट फॉर्म जिसमें यू.वी.आप्टिकल व निम्‍न एवं उच्‍च ऊर्जा एक्‍सरे स्‍पेक्‍ट्रोमीटर भी शामिल है। जो एस्‍ट्रोनोनिकल पर्यवेक्षण में अभी तक उपलब्‍ध न हो स‍की लचीलेपन को प्राप्‍त करने में मदद करता है। उन्‍होंने विगत माह में ताइचो सुपरनोआ से रिकॉर्ड की गई एक्‍सरे स्‍पेक्‍ट्रा को भी प्रदर्शित किया।

उन्‍होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्रगति के लिए संयुक्‍त मिशन हेतु विभिन्‍न संस्‍थानों को साथ आना होगा।

अपने की- नोट स्‍पीच मे प्रो. अजय सूद जो कि भारतीय विज्ञान संस्‍थान बेंगालूर से जुडे हैं ने बताया कि पदार्थ में जो उत्‍साहजनक व दृश्‍यमानों को समझने में लेजर कैसे अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बारे में जानकारी दी व उनकी अपनी शोध के बारे में उत्‍साहजनक उदाहरण भी दिए।

उन्‍होंने पहले टू डायमेंशन पदार्थ जैसे ग्रेफीन, फास्‍फेट इत्‍यादि के बारे में बात की। जो कि इस समय प्रौद्योगिकी में मुख्‍य रूचि की विषय है। उन्‍होंने बताया कि कैसे लेजर आधा‍रित तकनीक जैसे रामन अल्‍ट्राफास्‍ट स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोपी टेराहर्ट्ज स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोपी के अध्‍ययन व ऐसे पदार्थों को समझने हेतु एक यूनिक साधन उपलब्‍ध कराती है।

उन्‍होंने अपने शोध कार्य नेनोमटेरियल के साथ आप्टिकल फायबर लेपन का प्रयोग करते हुए नॉवेल बयोसेंसर डिजाइन व लेजर आधारित टवीजर्स का उपयोग करते हुए, माइक्रोस्‍कोप हीट इंजन के विकास के बारे में भी बताया।

डॉ. पी.के गुप्‍ता, सह निदेशक आरआरकेट, डॉ. डीडी भवालकर, पूर्व निदेशक आरआरकेट , डॉ. एम. के. सरकार अध्‍यक्ष, भारतीय लेजर एसोसिएशन भी उपस्थित थे।

डॉ. सी.पी.पाल, सचिव, एन.एल.एस.- 24 ने कार्यक्रम का संचालन किया। धन्‍यवाद ज्ञापन श्री एस.एस. वोरा, समन्‍वयक, एन.एल.एस.- 24 ने दिया।



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