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28 और 29 फरवरी 2020 को राजा रामन्ना प्रगत प्रोद्योगिकी केन्द्र (राराप्रप्रौके) में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह
 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को प्रो. सी . वी . रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के स्मरण में मनाया जाता है, जिन्हें 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार और 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था । इसके आलावा, राजा रामन्ना प्रगत प्रोद्योगिकी केन्द्र (राराप्रप्रौके) डॉ. विक्रम ए. साराभाई के जन्म शताब्दी वर्ष को भी मना रहा है, जिन्होंने 1966 में डॉ होमी जे. भाभा के दुखद निधन के पश्चात परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) का प्रभार संभाला था। डॉ सी.वी. रमन और डॉ विक्रम ए. साराभाई, दोनों के महान योगदानों को याद करते हुए राराप्रप्रौके ने स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों, शिक्षकों, केन्द्र के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों एवं आमंत्रित जनता के लिए केन्द्र की प्रयोगशालाओं को उनके अवलोकन हेतु खोल कर 28 और 29 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया। इस वर्ष के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का प्रसंग “विज्ञान में महिलायें” था, इसलिए इस विषय पर समर्पित एक दीर्धा भी स्थापित की गई ।

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शुक्रवार, 28 फरवरी, 2020 को, इन्दौर और इसके आसपास के स्कूलों के दसवीं एवं ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को पूरे दिन के लिए आमंत्रित किया गया था। इन्दौर और आसपास के 100 स्कूलों से आमंत्रित लगभग 1410 विद्यार्थियों और शिक्षकों ने राराप्रप्रौके का दौरा किया। उद्घाटन एवं परिचय कार्यक्रम पूरी तरह से केन्द्र की महिला वैज्ञनिकों, इंजीनियरों और छात्राओं द्वारा आयोजित किया गया । यह कार्यक्रम राराप्रप्रौके के निदेशक श्री देबाशीस दास द्वारा केन्द्र में अनुसंधान और विकास के मुख्य कार्यक्रम त्वरक और लेसर के कार्य करने के बुनियादी सिद्धांतों पर एक संबोधन एवं व्याख्यान के साथ शुरू हुआ । सरल हिंदी भाषा में उनका स्पष्ट व्याख्यान विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा बहुत सराहा गया। उन्होंने लघु चलचित्रों की मदद से विभिन्न प्रयोगशालाओं में विद्यार्थियों के लिए आयोजित प्रदर्शनी के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं की भी व्याख्या की। प्रारंभ में "स्वच्छ भारत अभियान" के तहत स्वच्छता और स्वच्छता के महत्व को दर्शाते कुछ लघु चलचित्र भी विद्यार्थियों और शिक्षकों को दिखाए गए ।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में भाग लेने के लिए विशेष विद्यालयों से आमंत्रित किए गए मूक एवं बधिर विद्यार्थियों व सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ शिक्षकों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। निदेशक, राराप्रप्रौके ने आयोजन समिति के वरिष्ठ सदस्यों के साथ इन 50 विशेष विद्यार्थियों के साथ एक विशेष परस्पर संवादात्मक सत्र में बातचीत की और सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद से उनके प्रश्नों का समाधान किया । इन विद्यार्थियों ने इस परस्पर संवादात्मक सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया।

संबोधन के बाद, सभी विद्यार्थियों को राराप्रप्रौके के स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन में, संगठित समूहों में प्रयोगशालाओं और राराप्रप्रौके सम्मेलन केन्द्र में विशेष रूप से निर्मित विज्ञान एवं तकनिकी प्रदर्शनी के अवलोकन हेतु ले जाया गया। प्रकाश एवं लेसर का जैव चिकित्सा अनुप्रयोगों में उपयोग तथा लेसर कर्तन एवं चिन्ह निर्माण, लेसर योगात्मक विनिर्माण, नियोडियम याग (Nd:YAG) और तंतु लेसर आदि लेसर आधारित प्रदर्शनियां लगायी गयी थी। कुछ बुनियादी विज्ञान सिद्धांतो की व्याख्या के लिए रमन प्रभाव, माइकलसन इंटरफेरोमीटर (व्‍यतिकरणमापी), ग्लो डिस्चार्ज, गति के नियम, गैस के नियम , गति का संरक्षण, अत्यंत कम तापमान पर विभिन्न तत्वों के भौतिक गुणों में परिवर्तन आदि जैसे विशेष प्रयोगों का प्रदर्शन किया गया । कुछ प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की व्याख्या करने के लिए, अतिचालक चुंबकीय उत्तोलित ट्रेन, हाइपरलूप ट्रेन, सीएनसी मशीनिंग, इंडक्शन हीटिंग, कांच से विभिन्न अवयवों का निर्माण (ग्लास ब्लोइंग) आदि का जीवंत प्रदर्शन दिखाया गया। इंडस सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत और उनके उपयोग, अतिचालक गुहाओं का विकास, स्वदेशी 10 MeV रैखिक त्वरक, कैंसर (कर्क रोग) की प्रकाशिकीय जाँच , लेसर योगात्मक विनिर्माण, लेसर कर्तन, आर एफ (रेडियो फ्रीक्वेंसी) और माइक्रोवेव संकेतों का पता लगाने आदि पर चल चित्र दिखाए गए ।

राराप्रप्रौके के सम्मेलन केन्द्र और विभिन्न प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों की व्याख्या करने व बुनियादी विज्ञान और इंजीनियरिंग में कुछ सिद्धांतो को प्रदर्शित करने के लिए त्वरक, लेसर, क्रायोजेनिक्स, अतिचालकता, आरएफ और माइक्रोवेव, चुम्बकीय प्रौद्योगिकियों से संबंधित 43 प्रदर्शनियों के साथ-साथ अग्निशमन सुरक्षा पहलुओं की प्रदर्शनी स्थापित की गयी थी । विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाओं के योगदान को उजागर करने और छात्राओं को विज्ञान में अपने कैरियर की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशेष रूप से “विज्ञान में महिलाएं दीर्धा” स्थापित की गई ।

हाल ही में राराप्रप्रौके में प्राप्त महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों और किए गए स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को प्रदर्शित करने के लिए “भारत में निर्माण दीर्धा” की स्थापना की गई थी जिसमें सचित्र पोस्टर, कार्यरत मॉडल और वास्तविक अवयवों के माध्यम से लगभग 20 उन्नत प्रौद्योगिकी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया था। इनमें टयूबरक्युलोस्कोप, रमन प्रोब ओन्कोडायग्नोस्कोप, ब्राचीथेरेपी स्रोतों के लिए लेसर सुक्ष्म वेल्डिंग मशीन और भारतीय दाबित भारी पानी रिएक्टरो (PHWRs) के रखरखाव से संबंधित लेसर तकनीकों का विकास, डायोड पंप लेसर मार्कर, तरल नाइट्रोजन आधारित शीतलीकरण सयंत्र (रीफर) तकनीक, अतिचालक गुहा, अतिचालकता संशोधक चुम्बक, ठोस अवस्था आरएफ एम्पलीफायर, उच्च स्थिरता वाले पावर कन्वर्टर, गैर-वाष्पशील गेटर (एनईजी) कोटिंग, क्रिस्टल विकास, अर्धचालक अवयवों के मास्क-रहित निर्माण, फाइबर पॉलिशिंग के लिए मशीन और फाइबर ब्रैग ग्रेटिंग (एफबीजी) सेंसर शामिल हैं । इन उपलब्धियों की प्रदर्शनी ने सभी अतिथियों को बहुत उत्साहित किया।

छात्रों और शिक्षकों की समग्र प्रतिक्रिया प्रदर्शनियों में गहरी रुचि दिखाने वाली व बहुत उत्साहवर्धक थी और उन्होंने राराप्रप्रौके के वैज्ञानिकों एवं अभियंताओं के साथ सुरुचिपूर्ण जीवंत चर्चा की । लेसर कर्तन (कटिंग) का प्रदर्शन, चुंबकीय उत्तोलन ट्रेन पर सवारी करना, ग्लास ब्लोइंग तकनीक का उपयोग करके कांच को आकार देना, तरल नाइट्रोजन द्वारा बादलों का निर्माण और अग्निशमन के जीवंत प्रदर्शन ने सभी छात्रों एवं अतिथियों पर एक कौतुहल एवं जिज्ञासा पूर्ण प्रभाव पैदा किया और छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों से प्रशंसा अर्जित की।

छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच स्वतंत्र चर्चा का अवसर प्रदान करने हेतु “प्रश्न-मंच" की स्थापना की गई थी। राराप्रप्रौके के कई वैज्ञानिकों ने छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित किया। राराप्रप्रौके में विज्ञान दिवस के तहत आयोजित प्रदर्शनियों से लेकर बुनियादी वैज्ञानिक अवधारणाओं एवं सिद्धांतो पर उठने वाले सवालों पर चर्चा हुई। इस आयोजन ने साथ में आये हुए शिक्षकों को विज्ञान की विशेष अवधारणाओं एवं सिद्धांतो को पढ़ाने के दौरान उनकी समस्याओं पर चर्चा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया । जिज्ञासु छात्रों को पुरस्कार भी दिए गए। विशेष विद्यार्थियों ने भी विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया और बड़े उत्साह के साथ प्रश्न-मंच" गतिविधि में आनंदपूर्वक भाग लिया।

सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए सुबह और अपराह्न में क्रमशः जलपान और भोजन का प्रबंध किया गया । सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों को स्मारिका टोपियाँ भी वितरित की गई । इसके अलावा, हाल ही में राराप्रप्रौके में प्राप्त उपलब्धियों और किये गए विकास कार्यों को दर्शाने वाली विवरणिका सभी को वितरित की गई। छात्रों के विभिन्न प्रदर्शनियों और प्रयोगशालाओं तक आवागमन के लिए परिवहन की व्यवस्था की गई थी। प्रदर्शनियों को देखने के दौरान और "प्रश्न-मंच" पर पूछे गए अनेकानेक प्रश्नों के अनुसार विद्यार्थियों की समग्र प्रतिक्रिया अत्यंत उत्साहपूर्वक थी। वे सामान्य रूप से परमाणु उर्जा विभाग और विशेष रूप से राराप्रप्रौके में हो रही वैज्ञानिक गतिविधियों पर जानकारी प्राप्त कर प्रशंसा से भरे मन से वापस लौटे। वे राराप्रप्रौके के सुरम्य परिसर में स्वच्छता, हरियाली और झीलों से भी प्रभावित हुए ।

29 फरवरी, 2020 को राराप्रप्रौके के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों, महाविद्यालयों के विद्यार्थियों और आमंत्रितों को राराप्रप्रौके की प्रयोगशालाओं का दौरा करने का अवसर प्रदान किया गया। महाविद्यालयों के 450 विद्यार्थियों और शिक्षकों सहित 2500 से अधिक अतिथियों ने प्रयोगशालाओं का दौरा किया और केन्द्र में किए जा रहे महत्वपूर्ण शोध एवं विकास हेतु प्रयुक्त गतिविधियों के बारे में जानने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

इस पूरे सम्पूर्ण आयोजन का प्रबंधन राराप्रप्रौके के निदेशक श्री देबाशीष दास की देखरेख में एक आयोजन समिति द्वारा किया गया, जिसमें श्री पुरुषोत्तम श्रीवास्तव, अध्यक्ष, शीर्ष समिति के साथ श्री राजेश आर्य, संयोजक थे। समिति ने प्रतिभागियों, प्रदर्शकों, प्रशासनिक कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों की एक बड़ी टीम की मदद और उत्साही सहयोग से इस आयोजन के लिए काफी विस्तृत व्यवस्था की थी।

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