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23 और 24 फरवरी 2019 को राजा रामन्ना प्रगत प्रोद्योगिकी केन्द्र (रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र ) में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह
 

प्रो. सी. वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष के 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। हर वर्ष रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र, स्कूल और कॉलेज के छात्रों एवं शिक्षकों, रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों एवं आमंत्रित जनता के लिए केन्द्र को खुला रखकर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है । पिछले कुछ वर्षों में यह कार्यक्रम स्कूल और कॉलेज के छात्रों एवं शिक्षकों और आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है।

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शनिवार 23 फरवरी 2019 को इन्दौर और इसके आसपास के स्कूलों के कक्षा ग्यारहवीं के छात्रों और शिक्षकों को पूरे दिनभर वैज्ञानिक प्रदर्शनी देखने हेतु आमंत्रित किया गया था। अगले दिन रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों, कॉलेज के छात्रों एवं आमंत्रितों को इस केन्द्र की प्रयोगशालाओं का दौरा करने का अवसर प्रदान किया गया। रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के सम्मेलन केन्द्र और विभिन्न प्रयोगशालाओं में इस केन्द्र की वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों की व्याख्या करने एवं बुनियादी विज्ञान की कुछ अवधारणाओं को प्रदर्शित करने के लिए लगभग 40 वैज्ञानिक प्रदर्शनियाँ स्थापित की गई थी । त्वरक, लेसर, क्रायोजेनिक्स, सुपरकंडक्टिविटी, मैग्नेट की प्रौद्योगिकियों के अलावा आग और इससे सुरक्षा के पहलुओं से संबंधित प्रदर्शन भी थे।

पहले दिन (यानी 23 फरवरी 2019 को) इन्दौर और आसपास के 80 स्कूलों के लगभग 1150 छात्रों और शिक्षकों ने रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र का दौरा किया। कार्यक्रम की शुरुआत रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के निदेशक डॉ. पी. ए. नाइक के संबोधन से हुई। डॉ. नाइक ने रमन प्रभाव के बारे में बताया जिसके लिए डॉ. सी.वी. रमन को भौतिकी में 1930 का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने त्वरक और लेसर के मूल सिद्धांतों को भी समझाया जो कि रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र में अनुसंधान और विकास के मुख्य क्षेत्र हैं। सरल हिंदी भाषा में उनकी स्पष्ट व्याख्या छात्रों और शिक्षकों द्वारा बहुत सराही गई। उन्होंने सरल तरीके से विभिन्न प्रयोगशालाओं में छात्रों के लिए स्थापित कुछ प्रदर्शनों के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं के बारे मे भी समझाया जिसे छात्रों ने अच्छी तरह से समझा और सराहा। स्वच्छता के महत्व को दर्शाने वाली कुछ लघु चलचित्र भी छात्रों और शिक्षकों को "स्वच्छ भारत अभियान" के तहत निदेशक के भाषण से पहले दिखाए गए थे ।

समारोह में भाग लेने के लिए कुछ स्कूलों के दिव्यांग (मूक बधिर) छात्रों को भी आमंत्रित किया गया था। उनके साथ उनके स्कूलों के दुभाषिया-शिक्षक भी थे। डॉ. विनीत कुमार, प्रमुख, त्वरक एवं किरणपुंज भौतिकी अनुभाग ने इन 50 विशेष छात्रों के लिए दुभाषिया-शिक्षकों की मदद से एक अलग परस्पर सवंदात्मक व्याख्यान दिया। इस व्याख्यान सह वार्ता में छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

निदेशक के संबोधन के बाद सभी छात्रों को रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन में संगठित समूहों में प्रयोगशालाओं और केन्द्र के सम्मेलन केन्द्र में विभिन्न प्रदर्शनी स्थलों पर ले जाया गया। बायोमेडिकल अनुप्रयोगों के लिए प्रकाश और लेसर के उपयोग, लेजर कटिंग और कंक्रीट ड्रिलिंग जैसे लेसर अनुप्रयोगों का प्रदर्शन एवं एनडीयाग (Nd:YAG) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) लेसर आदि कुछ कार्यशील प्रदर्शनियाँ भी थीं । बुनियादी विज्ञान की अवधारणाओं की व्याख्या करने के लिए रमन प्रभाव, माइकलसन इंटरफेरोमीटर, ग्लो डिस्चार्ज, गति के नियम, गैस नियम, संवेग के संरक्षण, कम तापमान पर पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन आदि जैसे कुछ प्रयोग-तंत्र की स्थापना की गई थी। कुछ प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की व्याख्या करने के लिए अतिचालक चुंबकीय आधारित उत्तोलन (लेविटेटेड) ट्रेन मॉडल, हाइपरलूप ट्रेन, प्लाज्मा कटिंग, सीएनसी मशीनिंग, इंडक्शन हीटिंग, ग्लास ब्लोइंग आदि के जीवंत प्रदर्शन दिखाए गए। इन्डस सिंक्रोट्रॉन और उसके उपयोग, एससीआरएफ गुहाओं का विकास, स्वदेशी 10 MeV रैखिक त्वरक, कैंसर का ऑप्टिकल निदान, लेसर एडिटिव विनिर्माण, लेसर कटिंग आदि पर चलचित्र (वीडियो) दिखाए गए।

हाल ही में रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र में हसिल किए गए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों और आन्तरिक (इन-हाउस) प्रौद्योगिकी विकास को प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से "मेक इन इंडिया गैलरी" स्थापित की गई थी। लगभग 20 विकास और उपलब्धियाँ सचित्र पोस्टर, क्रियाशील मॉडल और वास्तविक घटकों की मदद से प्रदर्शित की गई, जिसने युवा आगंतुकों को बहुत उत्साहित किया। इनमें ट्युबरक्युलोस्कोप (TuberculoScope), रमन प्रोब ओन्को डायग्नोस्कोप (Raman Probe Oncodiagnoscope), विज़न एन्हांसमेंट मॉड्यूल (Vision Enhancement Module) और लेसर माइक्रो वेल्डिंग मशीन जैसे यंत्र और रीफ़र (REEFER), एससीआरएफ (SCRF) गुहा, सुपरकंडक्टिंग सुधारात्मक चुम्बक, ठोस अवस्था रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) एम्पलीफायर, उच्च स्थिरता शक्ति कनवर्टरस, गैर-वाष्पीकृत गेटर (NEG) थर्मियोनिक कोटिंग, इलेक्ट्रॉन गन, क्रिस्टल- वृद्धि, मास्कलेस अर्धचालक घटकों का निर्माण, फाइबर ब्रैग ग्रेटिंग (FBG), फाइबर पॉलिशिंग और सील-बंद कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) लेसर का नवीनीकरण आदि से संबंधित तकनीकों का विकास शामिल है।

छात्रों और शिक्षकों की समग्र प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी। उन्होंने प्रदर्शनों में अत्यधिक रुचि दिखाई और वहां मौजूद स्वयंसेवकों के साथ जीवंत चर्चा की। लेसर कटिंग का प्रदर्शन, चुंबकीय उत्तोलन ट्रेन पर सवारी करना, ग्लास ब्लोइंग तकनीक का उपयोग करके कांच को विभिन्न आकार देना, तरल नाइट्रोजन द्वारा बादल का निर्माण और अग्निशमन के जीवंत प्रत्यक्ष प्रदर्शन ने युवाओ को अत्यंत प्रभावित किया । छात्रों और शिक्षकों द्वारा इन प्रदर्शनों की बहुत सराहना की गई ।

एक "प्रश्न पूछें मंच" की स्थापना वैज्ञानिकों एवं युवा छात्रों के बीच मुक्त एवं विस्तृत चर्चा का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के कई वैज्ञानिक, छात्रों के साथ चर्चा करने के लिए उपलब्ध थे एवं छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र में बुनियादी वैज्ञानिक अवधारणाओं से लेकर विज्ञान दिवस की प्रदर्शनियों से सम्बंधित सवालों पर चर्चा हुई। विज्ञान दिवस समारोह ने छात्रों के साथ आये शिक्षकों को भी विज्ञान की विशेष अवधारणाओं को पढ़ाने में उनकी समस्याओं पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उत्सुक छात्रों को “एनएसडी-19 स्मृति चिन्ह” के रूप में भागीदारी पुरस्कार भी दिए गए। इस वर्ष एनएसडी-19 स्मारिका एक लेसर कट एसएस डिस्क थी जिसमें दोनों तरफ लेसर उत्कीर्ण चित्र थे। डिस्क के एक तरफ “वॉयेजर गोल्डन डिस्क रिकॉर्ड” की छवि उकेरी गई थी और दूसरी तरफ हमारे सौर मंडल के ग्रहों के सापेक्ष आकार को उकेरा गया था। एनएसडी-19 स्मारिका डिस्क पर छात्रों को छवियों और जानकारी के महत्व को समझाने के लिए भोजन परिसर में दो पोस्टर भी लगाए गए थे। विशेष रूप से दिव्यांग छात्रों ने भी विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया और बड़े उत्साह के साथ प्रश्न पूछें एवं इस गतिविधि का आनंद लिया।

सभी छात्रों और शिक्षकों को नाश्ता एवं भोजन क्रमशः सुबह और दोपहर को परोसा गया। उन्हें धूप से बचने के लिए टोपियां भी वितरित की गई । छात्रों और शिक्षकों को एक प्रदर्शन स्थल से दूसरे प्रदर्शन स्थल पर जाने के लिए तथा उन्हें सम्मलेन केन्द्र से प्रयोगशाला परिसर ले जाने और वापस लाने के लिए भी बसों की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा हाल ही में रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के द्वारा अर्जित की गई उपलब्धियों और घटनाक्रमों से वर्णित पैम्फलेट और कलम सभी छात्रों और शिक्षकों को वितरित किए गए। प्रदर्शनियों के दौरान और "प्रश्न पूंछें मंच" पर पूंछे गए प्रश्नों की संख्या के अनुसार छात्रों की समग्र प्रतिक्रिया बेहद उत्साहपूर्ण थी। वे परमाणू उर्जा विभाग (DAE), विशेष रूप से रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र द्वारा अपनाई जा रही वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए प्रशंसा से ओतप्रोत होकर वापस गए। वे रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र परिसर की स्वच्छता, हरियाली और झीलों से भी प्रभावित थे।

अगले दिन, प्रदर्शनियों को रा.रा.प्र.प्रौ. केन्द्र के कर्मचारियों, उनके परिवार के सदस्यों, कॉलेज के छात्रों और आमंत्रित जनता के लिए भी खुला रखा गया था । कॉलेज के 430 छात्रों और शिक्षकों सहित 2500 से अधिक व्यक्तियों ने प्रयोगशालाओं का दौरा किया और केंद्र में किए जा रहे महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास की गतिविधियों के बारे में जानने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की ।

पूरे आयोजन को एक समन्वय समिति द्वारा प्रबंधित किया गया जिसके संयोजक श्री राजेश आर्य थे । समिति ने स्वयंसेवको, प्रदर्शकों, प्रशासनिक कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों की एक बड़ी टीम की मदद और उत्साही सहयोग से इस आयोजन के लिए काफी विस्तृत व्यवस्था की थी।

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