1. भारतीय समुत्खण्ड अनुसन्धान फैसिलिटी (IFSR) की त्वरक भौतिकी डिज़ायन:
भारत के पास त्वरक चलित सिस्टम (ADS) के लिए एक दीर्घकालिक परमाणु कार्यक्रम है जिसके द्वारा देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थोरियम के उपयोग से विद्युत उत्पादन कर लगातार बढ़ती हुयी ऊर्जा की मांग की पूर्ती की जा सकती है। ADS के विकास में एक चुनौती उच्च औसत शक्ति (10 MW), उच्च ऊर्जा (1 GeV) का प्रोटोन त्वरक है। विश्व में कहीं भी इस प्रकार के त्वरक का अभी तक निर्माण संभव नहीं हो पाया है। ADS के पथ पर अग्रसित होने के लिए राराप्रपौके में भारतीय समुत्खण्ड अनुसन्धान फैसिलिटी (IFSR) के विकास का प्रस्ताव रखा गया है जिसके लिए एक 1 जीईवी, 1 मेगावाट के प्रोटोन त्वरक की आवश्यकता है। इस प्रकार के त्वरक भी पिछले दो दशकों के दौरान ही कुछ ही देशों की प्रयोगशालाओं में विकसित हुए हैं। नाभिकीय रिएक्टर की तुलना में समुत्खंड न्यूट्रॉन स्रोत का मुख्य लाभ यह है की इसके द्वारा प्रक्षेप्य समय के प्रयोगों के लिए अत्यंत अल्प समय (~ 100 µs) एवं उच्च फ्लक्स (~ 10
-16 cm
-2 s
-1) की न्यूट्रॉन स्पन्द निर्मित की जा सकती है। इसके अतिरिक्त नाभिकीय रिएक्टर की तुलना में सुरक्षित प्रचालन एवं परमाणु अप्रसार के मुद्दों के लाभ के कारण समुत्खंड न्यूट्रॉन स्रोत संघनित द्रव्य भौतिकी के प्रायोगिक अध्ययन तथा ऊर्जा व विभिन्न अभियांत्रिक अनुप्रयागों के लिए पदार्थ विज्ञान में शोध के लिए वर्तमान समय में एक बहुत आकर्षक विकल्प बन गया है।
IFSR के त्वरक के प्राथमिक प्राचल निम्न तालिका में दिए गए हैं:
प्रोटोन किरणपुञ्ज की लक्ष्य पर शक्ति
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1.0 MW
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प्रोटोन किरणपुञ्ज की लक्ष्य पर गतिज ऊर्जा
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1.0 GeV
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लक्ष्य पर प्रोटोन किरणपुञ्ज औसत धारा
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1.0 mA
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लिनैक की मैक्रो स्पन्द की औसत धारा
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10 mA
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लिनैक किरणपुञ्ज की मैक्रो स्पन्द की ड्यूटी फैक्टर
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10%
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लक्ष्य पर एक स्पन्द में प्रोटॉनों की संख्या
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1.25 × 1014
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लक्ष्य पर एक प्रोटोन स्पन्द की लम्बाई
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680 ns
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आयन का प्रकार (फ्रंट एन्ड, लिनैक, एच ई बी टी)
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एच- H-
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आयन का प्रकार (वलय , आर टी बी टी, लक्ष्य)
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प्रोटोन
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वलय भरण समय
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2.0 ms
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वलय घूर्णन आवृत्ति
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1.0 MHz
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प्रस्तावित 1 MW भारतीय समुत्खंड न्यूट्रॉन स्रोत के लिए 1 GeV एच
– (H
-)लिनैक और प्रोटॉन संचायक वलय (AR) एवं संबद्ध ट्रांसपोर्ट लाइनों के विभिन्न उप-प्रणालियों के उपयुक्त डिजाइन को विकसित करने के लिए त्वरक भौतिकी का अध्ययन, अनुभाग की एक प्रमुख गतिविधि है। आयन स्रोत से "रिंग टू टार्गेट बीम ट्रांसपोर्ट" (RTBT) लाइन तक IFSR के लिए त्वरक का योजनाबद्ध प्रारूप नीचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है:
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IFSR के त्वरक का योजनाबद्ध प्रारूप. |
निम्न ऊर्जा किरणपुञ्ज ट्रांसपोर्ट (LEBT) और 3 MeV रेडियो आवृत्ति चतुर्ध्रुव (RFQ) का भौतिकी डिजाइन पूरा कर लिया गया है और ये तंत्र वर्तमान में राराप्रपौके में बनाए जा रहे हैं। सिमुलेशन वातावरण में रेडियो आवृत्ति चतुर्ध्रुव संरचना की फील्ड ट्यूनिंग के लिए संख्यात्मक अध्ययन किए गए हैं। इंजेक्टर लिनैक के लिए विभिन्न अतिचालक त्वरक संरचनाओं का विद्युत चुम्बकीय डिजाइन पूरा हो गया है। उपरोक्त चित्र में दिखाए गए अतिचालक SR011 भाग के विकल्प के रूप में 3 MeV एच
- (H
-) किरणपुञ्ज को 12.6 MeV तक बढ़ाने के लिए एक सामान्य चालक ड्रिफ्ट ट्यूब लिनैक (DTL) भी डिजाइन किया गया है। 1 GeV, 1 MW एच
- (H
-) रैखिक त्वरक के सघन डिज़ाइन के लिए एक सामान्य पद्धति विकसित की गई है और विभिन्न त्रुटियों और अवयवों की विफलता के प्रभाव सहित इस त्वरक की उपयुक्त लैटिस प्राप्त करने के लिए अध्ययन किया गया है। एक विशेष लैटिस के लिए लिनैक के प्रारंभ से अंत तक किरणपुञ्ज गतिकी सिमुलेशन के परिणाम नीचे दिखाए गए हैं
1 GeV एच
- (H
-) इंजेक्टर लिनैक की एक महत्वपूर्ण डिज़ाइन आवश्यकता यह सुनिश्चित करना है कि लिनैक में अनियंत्रित बीम हानि < 1 W/m है। इंट्रा-बीम स्ट्रिपिंग और अन्य तंत्रों के कारण किरणपुञ्ज की हानि पर व्यापक अध्ययन किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण योगदान इंट्रा-बीम स्ट्रिपिंग से आता है, और इंट्रा-बीम स्ट्रिपिंग के कारण किरणपुञ्ज के हानि की गणना के परिणाम निम्न चित्र में दर्शाये गए हैं
![Power loss per unit length (black, solid line), along with integrated power loss (red, broken line) due to intra-beam stripping along the linac length.](img/pl.PNG)
लिनैक में इंट्रा-बीम स्ट्रिपिंग के कारण इकाई दूरी में शक्ति की हानि (काली, लगातार रेखा) के साथ समाकलित शक्ति की हानि (लाल, डैश रेखा).
इसके अतिरिक्त किरणपुञ्ज के अस्थायित्व एवं हेलो के बनने का भी व्यापक अध्ययन किया गया है।
1 GeV संचायक वलय के लिए, दो प्रकार के लैटिस - फोडो और हाइब्रिड को डिज़ाइन किया गया है और गतिक अपर्चर, किरणपुञ्ज समान्तरण, किरणपुञ्ज इंजेक्शन, किरणपुञ्ज निष्कर्षण और इलेक्ट्रॉन क्लाउड गठन के दृष्टिकोण से विस्तार से अध्ययन किया जा रहा है।
1 GeV संचायक वलय का प्रारूप: फोडो लैटिस (ऊपर) एवं हाइब्रिड लैटिस (नीचे).
एक उपयुक्त उच्च ऊर्जा किरणपुञ्ज ट्रांसपोर्ट (HEBT) लाइन को लिनैक से किरणपुञ्ज को संचायक वलय के इंजेक्शन बिंदु तक मिलाने के लिए डिजाइन किया गया है। संचायक वलय में एच - (H-) की एक लंबी स्पन्द (~ 2 ms) इंजेक्ट करने के लिए, लगभग 2000 घूर्णन तक आवेश विनिमय विधि का उपयोग करते हुए, आवश्यक फेस-स्पेस पेंटिंग करने हेतु एक किरणपुञ्ज इंजेक्शन तंत्र को डिज़ाइन किया गया है। किरणपुञ्ज इंजेक्शन योजना का प्रारूप, जो विकसित किया गया है, उसे निम्न चित्र में दिखाया गया है:
संचायक वलय की इंजेक्शन योजना का प्रारूप। लाल एवं नीले रंग के चुम्बक क्रमशः क्षैतिज तथा उर्ध्व तल के इंजेक्शन चुम्बक हैं। हरे रंग के चुम्बक लैटिस के चतुर्ध्रुव चुम्बक हैं.
रिंग टू टारगेट बीम ट्रांसपोर्ट (RTBT) लाइन के डिजाइन को इष्टतम करने के लिए विस्तृत अध्ययन चल रहा है, जिसमें दो निष्कर्षण किकर (स्पंदित चुम्बक) की विफलता की संभावना को ध्यान में रखा गया है।
हाल ही में, चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए 70-250 MeV प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन के लिए 2 एमईवी प्रोटॉन इंजेक्टर लिनैक के लिए डिज़ाइन अध्ययन शुरू किया गया है। 24 mA की 0.35% के संवेग फैलाव की किरणपुञ्ज को सिंक्रोट्रॉन में इंजेक्ट करने के लिए 2 MeV प्रोटॉन RFQ आधारित इंजेक्टर के लिए भौतिकी डिजाइन अध्ययन किया गया है।