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24 और 25 फरवरी 2024 को आरआरकेट (राराप्रप्रौके), इंदौर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का आयोजन
 

भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को प्रोफेसर सी. वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के स्मरणोत्सव के रूप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। उन्हें वर्ष 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार और 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। आरआरकेट (राराप्रप्रौके) में फरवरी के अंतिम शनिवार और रविवार यानी 24 और 25 फरवरी को स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थीयों, शिक्षकों, आरआरकेट (राराप्रप्रौके) कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों और आमंत्रित जनता के लिए केन्द्र की प्रयोगशालाओं को उनके अवलोकन हेतु खोलकर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया। इस वर्ष के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का प्रसंग (थीम) "विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक" था।

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शनिवार, 24 फरवरी, 2024 को, इंदौर और इसके आसपास के स्कूलों के ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थीयों तथा शिक्षकों को पूरे दिन के लिए आमंत्रित किया गया था। इंदौर और आसपास के 70 स्कूलों के 1000 से अधिक आमंत्रित छात्रों और शिक्षकों ने आरआरकेट (राराप्रप्रौके) का दौरा किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत आरआरकेट (राराप्रप्रौके) के कार्यवाहक निदेशक श्री पुरूषोत्तम श्रीवास्तव के रमन प्रभाव की मूल बातें तथा केन्द्र में अनुसंधान और विकास के मुख्य कार्यक्रम त्वरक और लेसर के कार्य करने के बुनियादी सिद्धांतों पर एक संबोधन के साथ हुई। सरल हिंदी भाषा में उनका स्पष्ट व्याख्यान विद्यार्थीयों और शिक्षकों द्वारा बहुत सराहा गया। "स्वच्छ भारत अभियान" के तहत छात्रों और शिक्षकों को स्वच्छता और साफ-सफाई के महत्व को दर्शाने वाली कुछ लघु चलचित्र भी दिखाई गईं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में भाग लेने के लिए विशेष विद्यालयों से आमंत्रित किए गए मूक एवं बधिर विद्यार्थीयों व सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ शिक्षकों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। आरआरकेट (राराप्रप्रौके) के कार्यवाहक निदेशक ने आयोजन समिति के वरिष्ठ सदस्यों के साथ इन 50 विशेष विद्यार्थीयों, के साथ एक विशेष परस्पर संवादात्मक सत्र में बातचीत की और सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद से उनके प्रश्नों का समाधान किया । इन छात्रों ने इस परस्पर संवादात्मक सत्र में सक्रिय रूप से और आनंदपूर्वक भाग लिया।

संबोधन के बाद, सभी विद्यार्थीयों को आरआरकेट (राराप्रप्रौके) स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन में, संगठित समूहों में प्रयोगशालाओं और आरआरकेट (राराप्रप्रौके) सम्मेलन केन्द्र में निर्मित विज्ञान एवं तकनिकी प्रदर्शनी स्थलों पर ले जाया गया। प्रकाश एवं लेसर का जैव चिकित्सा अनुप्रयोगों में उपयोग तथा लेसर कर्तन (कटिंग) एवं चिन्ह निर्माण, लेसर योगात्मक विनिर्माण, नियोडियम याग (Nd:YAG) और तंतु लेसर इत्यादि लेसर के अनुप्रयोगों पर आधारित प्रदर्शनियां लगायी गईं थी। कुछ बुनियादी विज्ञान अवधारणाओं जैसे कि रमन प्रभाव, माइकलसन इंटरफेरोमीटर (व्यतिकरणमापी), शिलिरेन इमेजिंग, पूर्ण आंतरिक परावर्तन, तरल नाइट्रोजन के साथ प्रयोग, कृत्रिम बादल निर्माण, गति के नियम, गैस के नियम, गति का संरक्षण, अत्यंत कम तापमान पर विभिन्न तत्वों के भौतिक गुणों में परिवर्तन आदि को समझाने के लिए विशेष प्रयोगों का प्रदर्शन किया गया। कुछ प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों जैसे कि लीनियर इंडक्शन सिद्धांत पर आधारित मैग्लेव ट्रेन का लाइव प्रदर्शन, अग्नि रक्षक, सीएनसी मशीनिंग, इंडक्शन हीटिंग, कांच से विभिन्न अवयवों का निर्माण (ग्लास ब्लोइंग तकनीक) आदि को प्रदर्शित किया गया। इंडस सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत और उनके उपयोग पर आधारित वीडियो, अतिचालक गुहाओं का विकास, स्वदेशी 10 MeV रैखिक त्वरक, पतली फिल्म लेपित प्रकाशिकी, कैंसर (कर्क रोग) की प्रकाशिकीय जाँच, लेसर योगात्मक विनिर्माण, लेसर कर्तन (कटिंग), आरएफ और माइक्रोवेव संकेतों का पता लगाने, समानांतर प्लेट कैपेसिटर पर आधारित मानव ऊंचाई माप प्रणाली आदि प्रदर्शित किए गए।

आरआरकेट (राराप्रप्रौके) की वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों के साथ-साथ विज्ञान और इंजीनियरिंग के कुछ सिद्धांतो की व्याख्या करने के लिए आरआरकेट (राराप्रप्रौके) सम्मेलन केन्द्र और विभिन्न प्रयोगशालाओं में त्वरक, लेसर, क्रायोजेनिक्स, सुपरकंडक्टिविटी, आरएफ और माइक्रोवेव, चुम्बकीय प्रौद्योगिकियों तथा अग्निशमन सुरक्षा पहलुओं की प्रदर्शनी संबंधित लगभग 37 प्रदर्शनियां स्थापित की गईं थी।

महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों और स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को सचित्र पोस्टरों, कार्यरत मॉडलों और वास्तविक अवयवों के माध्यम से "मेक इन इंडिया" पर जोर देते हुए प्रदर्शित किया गया। इनमें टयूबरक्युलोस्कोप, रमन प्रोब ओन्कोडायग्नोस्कोप, अग्नि रक्षक, ब्रैचीथेरेपी स्रोतों के लिए लेसर सूक्ष्म वेल्डिंग मशीन और भारतीय दाबित भारी पानी रिएक्टरों (PHWRs) के रखरखाव से संबंधित लेसर प्रौद्योगिकियों का विकास, डायोड पंप लेसर मार्कर, तरल नाइट्रोजन आधारित शीतलीकरण सयंत्र (रीफर) तकनीक, अतिचालक गुहा, अतिचालकता संशोधक चुम्बक, ठोस अवस्था आरएफ एम्पलीफायर, उच्च स्थिरता वाले पावर कन्वर्टर्स, क्रिस्टल विकास, फाइबर ब्रैग ग्रेटिंग (एफबीजी) सेंसर, यूवी-एनआईआर लेसर बीम विज़ुअलाइज़र आदि की प्रदर्शनी ने युवा आगंतुकों को बहुत उत्साहित किया।

विद्यार्थीयों और शिक्षकों की समग्र प्रतिक्रिया प्रदर्शनियों में गहरी रुचि दिखाने वाली व बहुत उत्साहवर्धक थी और उन्होंने आरआरकेट (राराप्रप्रौके) के वैज्ञानिकों एवं अभियंताओं के साथ सुरुचिपूर्ण जीवंत चर्चा की । लेसर कर्तन (कटिंग), चुंबकीय उत्तोलन ट्रेन, ग्लास ब्लोइंग तकनीक का उपयोग करके कांच को आकार देना, तरल नाइट्रोजन द्वारा बादलों का निर्माण और अग्निशमन के सजीव प्रदर्शन ने सभी छात्रों एवं अतिथियों पर एक कौतुहल एवं जिज्ञासा पूर्ण प्रभाव पैदा किया और विद्यार्थीयों, शिक्षकों, कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों से प्रशंसा अर्जित की।

विद्यार्थीयों और वैज्ञानिकों के बीच स्वतंत्र चर्चा का अवसर प्रदान करने हेतु “प्रश्न-मंच" की स्थापना की गई थी। आरआरकेट (राराप्रप्रौके) के कई वैज्ञानिकों ने विद्यार्थीयों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित किया। आरआरकेट (राराप्रप्रौके) में विज्ञान दिवस के तहत आयोजित प्रदर्शनियों से लेकर बुनियादी वैज्ञानिक अवधारणाओं एवं सिद्धांतो पर उठने वाले सवालों पर चर्चा हुई। इस आयोजन ने साथ में आये हुए शिक्षकों को विज्ञान की विशेष अवधारणाओं एवं सिद्धांतो को पढ़ाने के दौरान उनकी समस्याओं पर चर्चा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। जिज्ञासु छात्रों को पुरस्कार भी दिए गए। विशेष छात्रों ने भी विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया और बड़े उत्साह के साथ प्रश्न-मंच" गतिविधि में आनंदपूर्वक भाग लिया।

सभी विद्यार्थीयों और उनके साथ आए शिक्षकों के लिए सुबह और अपराह्न में क्रमशः जलपान और भोजन का प्रबंध किया गया था। सभी विद्यार्थीयों और शिक्षकों को स्मारिका टोपियाँ भी वितरित की गईं। विद्यार्थीयों को विभिन्न प्रदर्शनियों और प्रयोगशालाओं तक आवागमन के लिए परिवहन (बसों) की व्यवस्था की गई थी। प्रदर्शनियों को देखने के दौरान और "प्रश्न-मंच" पर पूछे गए अनेकानेक प्रश्नों के अनुसार छात्रों की समग्र प्रतिक्रिया अत्यंत उत्साहपूर्वक थी। वे सामान्य रूप से परमाणु उर्जा विभाग और विशेष रूप से आरआरकेट (राराप्रप्रौके) में हो रही वैज्ञानिक गतिविधियों की सराहना करते हुए वापस गए। वे आरआरकेट (राराप्रप्रौके) के सुरम्य परिसर में स्वच्छता, हरियाली और झीलों से भी प्रभावित हुए ।

रविवार, 25 फरवरी, 2024 को, आरआरकेट (राराप्रप्रौके) कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों, कॉलेज के विद्यार्थीयों और आमंत्रित लोगों को आरआरकेट (राराप्रप्रौके) की प्रयोगशालाओं का दौरा करने का अवसर दिया गया। लगभग 500 कॉलेज विद्यार्थीयों और शिक्षकों सहित 2800 से अधिक लोगों ने प्रयोगशालाओं का दौरा किया और केंद्र में की जा रही महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के बारे में जानने का अवसर मिलने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।

इस वर्ष 200 से ज्यादा स्कूलों और 30 कॉलेजों को विशेष तौर इस उद्देश्य के लिए विकसित की गई एक वेबसाइट के जरिए निमंत्रण भेजा गया था। वेबसाइट महत्वपूर्ण तिथियों, रिपोर्टिंग समय, कार्यक्रम की अनुसूची, अतिथियों के लिए सामान्य जानकारी जैसी जानकारी प्रसारित करने और साथ ही सभी विद्यालयों और कॉलेजों के विद्यार्थीयों और शिक्षकों के नाम, पहचान का विवरण और तस्वीरें आदि जैसे डेटा प्राप्त करने के लिए एकल स्रोत बिंदु (Single Source Point) के रूप में कार्य करती है।

सम्पूर्ण कार्यक्रम का प्रबंधन आरआरकेट (राराप्रप्रौके) के निदेशक श्री एस.वी. नाखे की देखरेख में सार्वजनिक आउटरीच समिति (Public Outreach Committee) द्वारा किया गया, जिसमें श्री राजेश आर्य, संयोजक और डॉ. एस.के. मजूमदार, सह-संयोजक थे। उत्साही स्वयंसेवकों, प्रदर्शकों, प्रशासनिक कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के एक विशाल टीम के सहयोग से इस आयोजन के लिए काफी व्यापक व्यवस्था की गई थी। इस कार्यक्रम को विभिन्न प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय समाचार पत्रों द्वारा कवर किया गया।

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