संस्‍थान परिचय 
Indus-2

राष्ट्र को आत्मनिर्भर एवं मजबूत बनाने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उत्प्रेरक भूमिका के संबंध में अपने संस्थापक डॉ. होमी जे. भाभा की सूक्ष्म दृष्टि में परमाणु ऊर्जा विभाग का दृढ विश्वास रहा है । इसलिये प.ऊ.वि. ने हमेशा उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास कार्य को प्रोत्साहित किया है । इस दिशा में एक प्रमुख कदम तब उठाया गया, जब परमाणु ऊर्जा विभाग ने भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के दो प्रमुख क्षेत्रों त्वरक एवं लेसर के क्षेत्र में की जा रही अनुसंधान व विकास गतिविधियों को विस्तृत रुप देने के उद्देश्य से इंदौर में एक नए अनुसंधान केन्द्र-राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की।

डॉ. राजा रामन्‍ना की अध्यक्षता में गठित एक स्थानीय चयन समिति ने सुखनिवास झील एवं इसके सभी सुरम्य क्षेत्र को इस नये केन्द्र के लिये चुना । इस स्थान को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 7 फरवरी, 1984 को अनुमोदन किया । केन्द्र की प्रयोगशाला व निवास स्थानों के निर्माण कार्य का उदघाटन तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने 10 फरवरी, 1984 को किया । इस केन्द्र में जून 1986 में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई से वैज्ञानिकों के प्रथम दल का आगमन हुआ । तबसे यह केन्द्र लेसर, त्वरक व उनके अनुप्रयोगों से संबंधित अनुसंधान व विकास कार्यो के एक प्रमुख केन्द्र के रुप में तेजी से उभर रहा है।

केन्द्र में इस समय 572 वैज्ञानिकों व इंजिनियरों को मिलाकर कुल 1300 कर्मचारी हैं। इंदौर से बाहर लगभग 760 हेक्‍टेयर के सुरम्य क्षेत्र में फेले हुए आरआरकेट परिसर में प्रयोगशालाएं, कर्मचारियों के लिए निवास व मूलभूत सुविधाएं जैसे विद्यालय, खेलकूद, शॉपिंग सम्मिश्र, उद्यान इत्यादि शामिल हैं ।


संगठनात्मक चार्ट
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